बड़ों की तुलना में संक्रमित बच्चों के अंदर 100 गुना अधिक वायरस

बड़ों की तुलना में संक्रमित बच्चों के अंदर 100 गुना अधिक वायरस

सेहतराग टीम

कोरोना संक्रमण से पूरी दुनिया प्रभावित है और बच्चों को इस जानलेवा वायरस से बचाने के लिए पिछले कई महीनों से स्कूल कॉलेज बंद हैं। जामा पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित शिकागो स्थित एन एंड रॉबर्ट एल ल्यूरी बाल अस्पताल के वैज्ञानिकों का कहना है कि एक वयस्क संक्रमित व्यक्ति की तुलना में संक्रमित बच्चे की नाक और गले में अधिक वायरस होता है।

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वैज्ञानिकों का दावा है कि पांच साल तक के बच्चे के श्वास नलिका के ऊपरी हिस्से में एक वयस्क की तुलना में 100 गुना अधिक वायरस होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस शोध से ये स्पष्ट नहीं हुआ है कि बच्चे दूसरों को संक्रमित करते हैं या नहीं। इस अध्ययन के बाद स्कूल-कॉलेज खोलने के औचित्य पर बहस छिड़ गई है।

अलग-अलग उम्र के 145 लोगों पर शोध

बच्चों और वयस्कों में संक्रमण के स्तर का पता लगाने के लिए अस्पताल आनें वाले 145 लोगों के स्वाब का सैंपल लिया। इसमें 46 बच्चे पांच साल तक के थे। 51 पांच से 17 वर्षों और 48 वयस्क 18 से 65 साल थी। वैज्ञानिकों ने पाया कि बीमार बच्चों में वयस्कों की तुलना में वायरस की मात्रा अधिक मिली। चिकित्सकों ने बताया है कि शोध में शामिल अधिकतर बच्चों की बुखार और खांसी की तकलीफ थी।

स्कूल बेहद असमंजस की स्थिति

प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर टेलर हील्ड सार्जेन्ट का कहना है कि स्कूल बेहद असमंजस वाली स्थिति है। वै कहते है कि कोई बच्चा वायरस की चपेट में आता है तो ये नहीं कहा जाता है वो बीमार नहीं होगा या उनकी तबीयत बहुत अधिक गंभीर नहीं होगी, क्योंकि वायरस का उस पर असर नही होगा। ये सोच पूरी तरह गलत साबित हो सकती है। बच्चे बड़ी संख्या में अपने साथ वायरस लेकर चलते हैं, खतरा उन्हें भी है।

कुछ वायरस संक्रामक नहीं होते है

सेंट जूड बाल अनुसंधान अस्पताल की वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर स्टसी शुल्टज चेरी का कहना है, मैंनें बहुत लोगों को ये कहते हुए सुना है कि बच्चों को संक्रमण नहीं होगा। ये गलत धारणा है। बच्चों में वायरस के जो आरएनए मिले है, वो खुद को तेजी के साथ विकसित करते है। हांलाकि जेनेटिक गड़बड़ी के कारण वे कोशिकाओं को संक्रमित नहीं कर पाते है, क्योंकि वो डिफेक्टिव हो सकते है।

 

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